नूडल्‍स जैसे भोजन बच्‍चों को कुपोषित बना रहे हैं

नूडल्‍स जैसे भोजन बच्‍चों को कुपोषित बना रहे हैं

सेहतराग टीम

आमतौर पर आजकल के मां-बाप की सबसे बड़ी शिकायत ये होती है कि उनका बच्‍चा कुछ खाता नहीं। खासकर घर का बना परंपरागत खाना खाने में बच्‍चे बहुत नखरा करते हैं। इसके कारण मां-बाप बच्‍चों का पेट भरने के लिए उन्‍हें कुछ भी चटपटा खिलाने से परहेज नहीं करते। इसके कारण धीरे-धीरे बच्‍चों में घर के खाने का क्रेज पूरी तरह खत्‍म हो जाता है और वो फ‍िर उसी खाने की फरमाईश करने लगते हैं। तब मां-बाप घर में भी वैसा ही खाना बनाकर बच्‍चों को देने लगते हैं। मगर अब एक अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍था द्वारा इस बारे में जारी एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि इस बढ़ते चलन के कारण एशियाई बच्‍चों में कुपोषण बढ़ रहा है। खासकर दक्षिण पूर्व एशिया में लाखों बच्चे इंस्टेंट नूडल्स जैसे आधुनिक खानपान की वजह से पतले या कम वजन के रह जाते हैं जिनसे पेट तो भर जाता है लेकिन शरीर को आवश्यक पोषण नहीं मिलता।

विशेषज्ञों के अनुसार फिलीपीन, इंडोनेशिया और मलेशिया तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाएं हैं और यहां जीवनस्तर भी ऊपर उठ रहा है। ऐसे में कई कामकाजी माता-पिता हैं जिनके पास वक्त की कमी है।

संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के क्षेत्र में काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार इन तीन देशों में पांच साल से कम उम्र के औसतन 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं जबकि इस मामले में वैश्विक औसत तीन में से एक बच्चे के कुपोषित होने का है।

इंडोनेशिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हसबुल्ला थबरानी ने कहा, ‘माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चों का पेट भरना सबसे जरूरी चीज है। वे उचित मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम या फाइबर के सेवन के बारे में वाकई नहीं सोचते।’

यूनिसेफ की एशिया पोषण विशेषज्ञ मुएनी मुटुंगा ने समस्या के मूल में परिवारों का किफायती, आसानी से उपलब्ध आधुनिक भोजन के लिए परंपरागत आहार को छोड़ना पाया। उन्होंने कहा, ‘नूडल्स बनाना आसान है। नूडल्स सस्ते होते हैं। नूडल्स एक संतुलित आहार के आसान और त्वरित पूरक बन जाते हैं।’ जबकि इनमें आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम होती है। इनमें प्रोटीन भी नहीं होता वहीं वसा और नमक ज्यादा होता है।

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